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लार्ड माउंटबेटन ने भारत और पाकिस्तान दोनों देशों को 14-15 अगस्त में से किसी दिन अपनी-अपनी आजादी के कार्यक्रम निर्धारित करने को कहा। ज्योतिष विज्ञान में आस्था रखने वाले डॉ राजेन्द्र प्रसाद ने देश के भविष्य व अखंड संप्रभुता के लिए महाकाल की नगरी उज्जैन के प्रसिद्द ज्योतिषाचार्य पंडित सूर्यनारायण व्यास से आजादी के लिए उपयुक्त मुहूर्त चुनने के लिए निवेदन किया। इसी बीच पाकिस्तान ने 14 अगस्त को अपनी स्वतंत्रता की औपचारिक घोषणा कर दी।
15 अगस्त 1947 की मध्यरात्री 00:00 बजे भारत का जन्म नही विभाजन हुआ परंतु उस दिन देश के इतिहास मे एक इतनी बड़ी घटना घटी जिससे देश की राजनीतिक, भौगोलिक,आर्थिक, धार्मिक व सामाजिक सभी प्रभावित हुए और इस घटना को जन्म तो नही परंतु भारत देश का पुनर्जन्म ही था। भारत की जन्मकुंडली की चर्चा मे हम इसी पुनर्जन्म अर्थात स्वतंत्र भारत की कुंडली को आधार मान कर विश्लेषण करते है। किसी भी देश की कुंडली का विश्लेषण करना हो तो उसके देश की कुंडली के साथ ही उस देश के राजा अर्थात प्रधानमंत्री की जन्मपत्रिका से भी विचार करना चाहिए।
ज्योतिष शास्त्रों के सिद्धांतों के अनुसार 14-15 अगस्त 1947 के गोचर में पञ्चग्रही युतियां अर्थात पांच गृह कुंडली के एक ही भाव में थे जो की देश और समाज के लिए अशुभ था। पं सूर्यनारायण व्यास ने आजादी के लिए 15 अगस्त 1947 की मध्यरात्री बारह बजे का मुहूर्त निर्धारित किया। उनका मानना था कि इससे लोकतंत्र स्थिर रहेगा। क्योंकि उस वक्त स्थिर लग्न ‘वृषभ’ चल रहा था, जो किसी भी कार्य की शुरुआत और उसके स्थायित्व के लिए सबसे शुभ लग्न माना जाता है। उसी समय रात 12:15 के पूर्व सर्वश्रेष्ठ अभिजित मुहूर्त भी चल रहा था, जो मुहूर्त शास्त्रों के अनुसार उस समय का सबसे शुभ मुहूर्त था। इतना ही नहीं, पं. व्यास के कहने पर स्वतंत्रता के बाद देर रात संसद को धोया गया। बाद में बताए मुहूर्त अनुसार गोस्वामी गिरधारीलाल ने संसद की शुद्धि भी करवाई। गुलामी की जंजीरों से आजाद हुए भारतवर्ष 15 अगस्त, 1947 को रात्रि 12 बजे आधिकारिक तौर पर नए भारत या यूं कहें कि विघटन के बाद बचे हुए शेष भारत का नया वजूद सामने आया।
स्थिर लग्न के चलते भारत में लोकतंत्र स्थिर वहीं एक दिन पहले आजाद हुए पाकिस्तान का लग्न और राशि दोनों मिथुन है ये अशुभ और अस्थिरता का संयोग है यही कारण है पाकिस्तान का कोई भी पीएम आज तक अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा नहीं कर पाया। पाकिस्तान के पूर्व पीएम नवाज शरीफ की पनामा केस में दोषी पाए जाने के बाद कुर्सी छिन गई है। वो तीन बार देश के प्रधानमंत्री बने, लेकिन एक बार भी वो अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए। पाकिस्तान के वर्तमान प्रधानमंत्री इमरान खान है और ये किसी से चुका नही है की कसी तरह वो अपनी कुर्सी बचाने मे लगे है । वर्तमान गोचर व भविष्य में ग्रहों की स्थति इस बात का भी संकेत करती है की पाकिस्तान में आने वाले समय में विभाजन भी संभव है।
आइये स्वतंत्र भारत की कुंडली का विश्लेषण करते हैं, कुंडली विवरण-तिथि 15 अगस्त 1947, समय रात्रि 00:00, स्थान दिल्ली
ग्रह गोचर के अनुसार स्वतंत्र भारत की कुंडली “वृष लग्न” और “कर्क राशि” की है लग्न और लग्नेश की चर्चा करे तो वृष लग्न मे राहू विराजमान है लग्नेश का स्वामी शुक्र है वैदिक ज्योतिष मे शुक्र गृह को कला, सौन्दर्य, रचना, संगीत का कारक माना जाता है यही कारण है भारत का सिनेमा विश्वस्त्रीय है व यहा की वस्तुकला की विश्व मे विशेष पहचान है परंतु लग्न का राहू हमेश देश मे राजनीति उठापटक रखता है साथ ही यह इस बात का भी सूचक है की देश में कभी भी किसी एक पार्टी का शासन नहीं होगा।
कुंडली के दूसरे भाव में मिथुन राशि का मंगल स्थित है, कुंडली का यह दूसरा भाव दिशाओं से भारत की उत्तरी-पश्चिमी दिशा को दर्शाता है। जहां भारत का कश्मीर भाग आता है वहां बार-बार समस्याएं पैदा होती रहती है व समय-समय पर यह युद्ध की स्थितियां बनाती है और अस्थिरता होती है परंतु स्थिर लग्न होने के कारण भारत हर समस्या से बच जाता है। साथ ही पड़ोसियों की चाल व हरकत हमेशा तनाव का कारण बनती है परंतु तीसरा भाव बलि होने के कारण भारत हमेशा अपने विरोधियों पर विजयी रहेगा।
स्वतंत्र भारत की जन्म कुंडली के सबसे विशेष व दुर्लभ योग की बात करे तो वह है कुंडली का तृतीय भाव जहा कर्क राशि में सूर्य, चंद्र, शनि, बुध, शुक्र ये पांच ग्रह बैठकर पंचग्रही योग बना रहे हैं। यह पराक्रम व शक्ति का भाव है भारत की कुंडली का तीसरा भाव बहुत बलवान है यही कारण था की विशाल युद्धों और अनगिनत विद्रोही ताकतों के बावजूद भारत की अखंडता पर कोई आंच नहीं आई। तृतीय भाव स्थित शनि की बात करे तो भारत को आजादी शनि की महादशा में प्राप्त हुई थी। शनि की महादशा भारत के लिए शुभ फलदायी रही। शनि की महादशा में 1947 से 1965 तक भारत और पाकिस्तान के बीच युद्धों में भारत को सफलता प्राप्त हुई। भारत की कुंडली में शनि सर्वाधिक महत्वपूर्ण ग्रह है यह भारत को मजबूती और शक्ति दोनों देता है।
छठे भाव मे तुला के बृहस्पति ये साफ दर्शाते है की देश मे धर्म को लेकर हमेशा ही कुछ न कुछ विवाद बना रहेगा साथ ही यह कर्ज का भी भाव है इसी कारण देश मे किसी न किसी रूप मे कर्ज सदैव बना रहेगा। सप्तम भाव मे वृश्चिक राशि का केतू स्थित है कुंडली का यह भाव संकेत करता है कि महिलायों से संबन्धित अंदोलन व कानूनों मे समय समय पर बदलाव आएगा व समय के साथ देश में महिलाओं का वर्चस्व बड़ेगा।
जैसा की पूर्व मे कहा किसी भी देश की कुंडली का विश्लेषण करते समय उस देश की कुंडली के साथ ही उस देश के राजा अर्थात प्रधानमंत्री की जन्मपत्रिका से भी विचार करना चाहिए। इसी क्रम मे भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी की कुंडली पर विचार करे तो मोदी जी की जन्मकुंडली मे लग्न और लग्नेश दोनों बली स्थिति में है यही कारण है जो प्रधानमंत्री मोदी जी को उच्च प्रतिष्ठा, यश और विश्व विख्यात प्रसिद्धि प्रदान करते हैं। मोदी जी की कुंडली का लग्न और लग्नेश बलवान होने के कारण मोदी को उच्च आत्मविश्वास और इच्छाशक्ति प्रदान करता है साथ ही मंगल शक्ति, पराक्रम, दृढनिश्चयता और उत्साह व शत्रुओं का दमन करता है तर्क शक्ति और वाणी का कारक ग्रह बुध कुंडली में उच्च राशि में विराजमान है देश के प्रधानमंत्री होने के नाते नरेंद्र मोदी से कुछ और कड़े फैसले देखने को मिल सकते हैं जो कि प्रारंभ में काफी परेशानी वाले रह सकते हैं। दूरदर्शिता के हिसाब से यह फैसले प्रधानमंत्री मोदी के आत्मसम्मान को बढ़ाने वाले हो सकते हैं।
वर्तमान मे भारत पर चंद्रमा की महादशा चल रही है स्वतंत्र भारत की कुंडली में चंद्रमा अनुकुल है। वैदिक ज्योतिष शास्त्र में चंद्रमा को स्त्री ग्रह मानते हैं, यही कारण है वर्तमान की मोदी सरकार महिला सशक्तिकरण की योजनाओं पर विशेष बल दे रही है। खेल की बात की जाए तो ओलंपिक से लेकर क्रिकेट हो या राजनीति से लेकर व्यवसाय देश की महिलाएं हर क्षेत्र में अपना परचम लहरा रही हैं व देश को गौरवान्वित कर रही है। साथ ही भविष्य के गर्भ मे झाके तो ज्योतिष आकलन इस बात इशारा करता है की मोदी के नेतृत्व में भारत को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् में स्थायी सदस्यता का मौका मिलेगा। आशा करते हैं हमारे देश के प्रधानमंत्री की ऊर्जा व स्वास्थ्य इसी तरह बना रहे व भारत जल्द ही विश्वगुरु बने।
आचार्य प्रवीन चौहान
बीटेक, एम. ए. (वैदिक ज्योतिष)
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