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इन दिनों ऑस्ट्रेलिया में चल रहे ‘टी-20’ (T20) वर्ल्डकप के मुकाबले के तहत पिछले दिनों हुए सेमीफाइनल मैच में भारत को इंग्लैंड के हाथों दस विकेट से करारी हार का सामना करना पड़ा, जिससे देश के लाखों क्रिकेटप्रेमियों का दिल टूट गया। हालांकि, जीत और हार तो किसी भी खेल का हिस्सा होते हैं। यह सब तो होता रहता है। लेकिन भारतीय टीम का हमेशा से गौरवशाली इतिहास रहा है और इसने खेलप्रेमियों का सिर हमेशा गर्व से ऊंचा किया है, ऐसे में इस करारी शिकस्त को लोग आसानी से पचा नहीं पा रहे हैं। लोगों ने इस हार के खिलाफ अपना गुस्सा व्यक्त करने के लिए ट्विटर समेत तमाम सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स का सहारा लिया। ऐसे में इस सप्ताहांत में मैच को लेकर ट्वीट्स और मीम्स की बाढ़ सी आ गई।
सिर्फ इतना ही नहीं, इस बार शिकायत उनसे भी है, जो खेल को खेल नहीं रहने देते और तमाशा बनाकर रख देते हैं। खासतौर पर टीवी चैनल्स वाले। ऐसे में ट्रोलर्स ने इन्हें भी नहीं बख्शा। इस बार भी चैनल वालों ने अपने न्यूजरूम में ज्योतिषी बिठा रखे थे, जो ग्रह-नक्षत्र की स्थितियों से टीम की जीत की घोषणा कर रहे थे। इससे ज्यादा हंसी की बात और क्या हो सकती है कि एक प्रमुख न्यूज चैनल का प्राइम टाइम शो था, ’11 ज्योतिषी बताएंगे, हम कप लाएंगे’। मैच से एक दिन पहले प्रसारित इस शो में 11 ज्योतिषियों को मैच में भारत के भाग्य की भविष्यवाणी करने के लिए आमंत्रित किया गया था। करीब ढाई घंटे तक चले इस शो में एंकर ने क्रिकेट की जर्सी पहन रखी थी और भारत की हार-जीत को लेकर 11 ज्योतिषयों की राय ली जा रही थी। इससे भी ज्यादा मजेदार बात यह थी कि इन सभी ने भारत की जीत की घोषणा भी कर दी थी। सवाल उठता है कि न्यूज चैनल्स को हवा के रुख के साथ चलना चाहिए? क्या यह खतरे की घंटी नहीं है कि वे अपनी दैनिक न्यूज कवरेज में क्या से क्या बन गए हैं?
न्यूज चैनल्स और इसके इस तरह के ज्योतिषीय फैक्ट चेकर्स की वजह से व्युअर्स वाकई में कंफ्यूज हो गए हैं। चैनल की अपनी जबरदस्त विश्वसनीयता के बावजूद मैं जानना चाहता हूं कि इस तरह की स्थिति के लिए कौन जिम्मेदार था। क्या न्यूज चैनल के पास विषय विशेषज्ञ नहीं थे या ज्योतिषियों को लोकलुभावन राय देने के लिए बुलाया था या कुछ ज्योतिषियों की अक्षमता, जिन्होंने गलत भविष्यवाणी की।
यूट्यूब पर शो की लाइवस्ट्रीमिंग पर तमाम लोगों ने अपने कमेंट्स दे रखे थे। इनमें से एक दर्शक का कहना था, ‘मैं इस बात से दुखी नहीं हूं कि भारत हार गया, लेकिन मुझे दुख है कि हमारे देश में ऐसे ज्योतिषी हैं।’ मैं तो बस कुछ हल्के-फुल्के हास्य और मनोरंजन वाले वीडियो तलाश कर रहा था, इसी दौरान मैं गलती से इस पर क्लिक कर बैठा और अब मैं इस स्थिति का लुत्फ उठा रहा हूं।
यह पहली बार नहीं है, जब चैनल इस तरह का ज्योतिषीय शो लेकर आया। आजकल तो लगभग सभी चैनल्स पर इसी तरह की प्राइम टाइम डिबेट्स दिखाई जाती हैं, जो निराधार होती हैं। कुछ दिनों पहले ही एक चैनल ने ‘चंद्रग्रहण 22 ज्योतिषयों के संग’ (Chandragrahan 22 jyotisho ke sang) नाम से एक शो चलाया। इस शो में एंकर ने चंद्रग्रहण पर 22 ज्योतिषियों की राय ली।
हो सकता है कि इस दौरान सिर्फ ये दो शो ऐसे रहे हों, जिन पर न्यूज चैनल ने किसी मुद्दे पर इतने लोगों की राय ली है। यह ध्यान रखना दिलचस्प है कि इस न्यूज चैनल के साथ-साथ कई प्रमुख न्यूज चैनल्स ज्योतिषीय शो से अथवा भविष्यवाणियों के लिए ज्योतिषियों से दूर रहे हैं, लेकिन मुझे लगता है कि अब इन पर देश की भावनाएं हावी हो गई हैं।
मजाक के अलावा, यह न केवल प्राइम टाइम शो के लिए लापरवाही से तैयार की गई एक अवधारणा थी, बल्कि सट्टेबाजी के अवैध कार्यों के लिए एक न्योता भी था। इस तरह की ज्योतिषीय भविष्यवाणियों की लाइव-स्ट्रीमिंग और टेलीकास्टिंग सट्टेबाजी को बढ़ावा देती है। ऐसी ‘क्रिएटिव’ अवधारणाओं से न्यूज शो को क्या मिलता है? यह टीआरपी की दौड़ है, जिसमें संभावित दर्शकों और विज्ञापनदाताओं को आकर्षित करने के लिए इस तरह के शो तैयार किए जाते हैं। मार्केट के अनुकूल कंटेंट को तैयार करने ने मीडिया बिजनेस को मुश्किल बना दिया है। क्या व्युअरशिप हासिल करने का सिर्फ यही एक तरीका है? लेकिन लाइव स्ट्रीमिंग कमेंट्स को देखकर आसानी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि यह कंटेंट उस तरह का नहीं है, जिसे व्युअर्स देखना चाहते हैं। हालांकि, इस प्रमुख न्यूज चैनल पर आमतौर पर काफी विश्वसनीय कंटेंट होता है और बहुत ही ईमानदारी और विश्वसनीयता के साथ काफी बोल्ड न्यूज कवरेज कर रहा है।
शो के क्रिएटिव डायरेक्टर्स ने ज्योतिषियों के बजाय इंडस्ट्री के विशेषज्ञों को मैच पर अपनी राय देने के लिए आमंत्रित किया होता तो वह निश्चित रूप से अधिक विश्वसनीय होता। वास्तव में, इस तरह के शो को रेगुलेट करने के लिए ‘न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एंड डिजिटल एसोसिएशन’ (NBDA) द्वारा उचित दिशा-निर्देश दिए जाने चाहिए, जिनमें वैज्ञानिकता का अभाव होता है और जो किसी भी तरह की सट्टेबाजी को बढ़ावा देते हों। यह बिल्कुल ऐसा होना चाहिए जैसा कि चुनाव आयोग ने अपनी गाइडलाइंस दे रखी हैं, जिनमें चुनाव के दौरान ओपिनियन पोल पर रोक लगाई गई है। दर्शक तथ्य आधारित खबरें देखना चाहते हैं और चैनल्स के लिए वैज्ञानिक सोच अपनाने का सही समय है।
इस तरह के शो न केवल मीडिया को हंसी का पात्र बनाते हैं, बल्कि ज्योतिष विज्ञान में अविश्वास को भी आमंत्रित करते हैं। भविष्यवाणियां करने में अंतर्ज्ञान हासिल करने के लिए अध्यात्म काफी अहम भूमिका निभाता है और इसे केवल साधु की तरह भगवा धारण करने से प्राप्त नहीं किया जा सकता है। चमक-धमक से युक्त कैमरों वाले स्टूडियो के बजाय ज्योतिषीय भविष्यवाणियां केवल सर्वोच्च शक्ति को ध्यान में रखकर विश्वास के साथ पवित्र स्थान में की जाती हैं। भविष्यवाणी के ज्योतिषीय नियम कहते हैं कि सूर्यास्त के बाद पूर्वानुमान नहीं लगाते हैं, लेकिन इस तरह की घटनाएं विशुद्ध रूप से प्रचार आधारित होती हैं न कि किसी ज्योतिषीय मकसद से।
ज्योतिष समाज सेवा से जुड़ा पेशा है, यह मनोरंजन का साधन नहीं है। इसका काम मुसीबत में पड़े लोगों के मुद्दों को सुलझाना है और उन्हें उपाय प्रदान करना है। क्रिकेट मैच, शेयर बाजार और क्रिप्टो के लिए ज्योतिषीय भविष्यवाणियों का प्रयोग न केवल अनैतिक है, बल्कि ज्योतिष की पवित्रता का उपहास है। ज्योतिष का मतलब एकांत में अध्यात्मिक रूप से अभ्यास करना है। भविष्यवाणियां स्क्रिप्टेड टेक्स्ट नहीं होती हैं, जिन्हें लाइट, कैमरा और एक्शन की आवाज पर तैयार किया जा सकता है अथवा लिखा जा सकता है। ज्योतिष के विशुद्ध विज्ञान को शो बिजनेस के लिए दिखावटी आकर्षक कार्यक्रम के लिए कम करना इसके वास्तविक अर्थ के बिल्कुल विपरीत है।
लेकिन भारत-इंग्लैंड के सेमीफाइनल मैच की बात करें तो न्यूज चैनल ने 11 ज्योतिषियों को एक साथ बिठाकर स्क्रिप्टेड कंटेंट दिखाया, जिसकी कोई गरिमा नहीं हैं। क्या यह चैनल की ज्योतिषियों के प्रति विश्वास में कमी थी कि उसे कुछ ज्योतिषियों की जगह 11 ज्योतिषियों को बुलाना पड़ा? इस शो ने दर्शकों की आस्था और ज्योतिष की प्रतिष्ठा को एक तरह से नष्ट कर दिया। सवाल यह है कि शो द्वारा फैलाई गई गलत सूचना के लिए कौन जिम्मेदार है? क्या वे 11 ज्योतिषी अथवा न्यूज चैनल के संपादक। चैनल को अपने व्युअर्स और ज्योतिषीय पेशे से जुड़े लोगों से माफी मांगनी चाहिए।